Lakshmi Puja Vidhi
पूजा भगवती लक्ष्मी की साधना के साथ शुरू करना चाहिए . ध्यान आप के सामने पहले से ही स्थापित श्री लक्ष्मी प्रतिमा के सामने किया जाना चाहिए . भगवती श्री लक्ष्मी का मनन करते हुए निम्न मंत्र का जाप किया जाना चाहिए
ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल–कटि–तटी, पद्म–दलायताक्षी।
गम्भीरावर्त–नाभिः, स्तन–भर–नमिता, शुभ्र–वस्त्रोत्तरीया।।
लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः। मणि–गज–खचितैः, स्नापिता हेम–कुम्भैः।
नित्यं सा पद्म–हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व–मांगल्य–युक्ता।।
Laxmi Ang Puja
बायें हाथ में अक्षत लेकर दायें हाथ से थोड़ा-थोड़ा छोड़ते जायें— ऊं चपलायै नम: पादौ पूजयामि ऊं चंचलायै नम: जानूं पूजयामि, ऊं कमलायै नम: कटि पूजयामि, ऊं कात्यायिन्यै नम: नाभि पूजयामि, ऊं जगन्मातरे नम: जठरं पूजयामि, ऊं विश्ववल्लभायै नम: वक्षस्थल पूजयामि, ऊं कमलवासिन्यै नम: भुजौ पूजयामि, ऊं कमल पत्राक्ष्य नम: नेत्रत्रयं पूजयामि, ऊं श्रियै नम: शिरं: पूजयामि।
Ashtsidhi Puja
अंग पूजन की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करें. ऊं अणिम्ने नम:, ओं महिम्ने नम:, ऊं गरिम्णे नम:, ओं लघिम्ने नम:, ऊं प्राप्त्यै नम: ऊं प्राकाम्यै नम:, ऊं ईशितायै नम: ओं वशितायै नम:।
Asht Laxmi Puja
अंग पूजन एवं अष्टसिद्धि पूजा की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करें. ऊं आद्ये लक्ष्म्यै नम:, ओं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:, ओं अमृत लक्ष्म्यै नम:, ऊं लक्ष्म्यै नम:, ऊं सत्य लक्ष्म्यै नम:, ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:, ऊं योग लक्ष्म्यै नम:
अब श्री लक्ष्मी को धूप की पेशकश अब श्री लक्ष्मी को दीप की पेशकश अब श्री लक्ष्मी को नैवैद्य अर्पणदेवी को “इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” मंत्र से नैवैद्य अर्पित करें लक्ष्मी आरती